असगरी बेगम (Asghari Begum) एक ऐसी मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी जिन्हे भुला दिया गया।
असगरी बेगम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। कुछ स्रोतों के अनुसार, उनका जन्म 1811 में हुआ था और विद्रोह के समय उनकी उम्र लगभग 45 वर्ष थी।
मेजर सॉयर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने अक्टूबर, 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा मुक्त करा लिए गए मुजफ्फरनगर के एक शहर थाना भवन पर हमला किया। वहां मेजर सॉयर यह देखकर हैरान रह गया कि यूरोपीय महिलाओं के विपरीत, इस शहर के आस-पास की दर्जनों महिलाएं संगठित लड़ाइयों में सक्रिय रूप से भाग ले रही थीं।
मेजर सॉयर ने महिलाओं को आतंकित करने के लिए असगरी बेगम को पकड़ लिया, जो उस वक्त अंग्रेजों से लड़ने के लिए महिलाओं के दल को तैयार कर रही थीं, सॉयर ने उन्हें पकड़कर सार्वजनिक रूप से जिंदा जलवा दिया।
मेजर सॉयर ने सोचा था कि असगरी को सार्वजनिक रूप से भयानक तरीके से मारकर वह भारतीय महिलाओं में डर पैदा कर सकता है, लेकिन वह गलत था।
इस घटना के बाद भी मुजफ्फरनगर के अन्य हिस्सों में हबीबा और जमीला नाम की दो बहादुर महिलाओं ने अंग्रजों के खिलाफ जंग में कूद गई। बाद में इन दोनों को पकड़ लिया गया और इस बहादुरी और जुर्रत के लिए फांसी पर लटका दिया गया।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इन बहादुर महिलाओं के योगदान को प्रतिष्ठित शब्दों में लिखा जाना चाहिए था, लेकिन इनके बारे में ज्यादा लिखा नही गया। अब समय आ गया है कि भारत इन बहादुर महिलाओं के योगदान को याद करे और इन्हे सलाम करे जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान को कुर्बान कर दिया।