इसमें कोई शक की बात नहीं कि जुमा का दिन मुसलमानों के लिए ईद का त्योहार है, यह इन हदीसों से साबित है –
अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से आया है कि उन्हों ने कहा कि : अल्लाह के पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ”यह ईद का दिन है जिसे अल्लाह ने मुसलमानों के लिए बनाया है, इसलिए जो व्यक्ति जुमा के लिए आए तो उसे नहा (स्नान कर) लेना चाहिए, और अगर उसके पास सुगंध (खुश्बू) हो तो उसे लगा ले, तथा तुम मिस्वाक को लाज़िम पकड़ो (यानी अमल करो)।” – इब्ने माजा (हदीस संख्या :1098)
हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हो से रिवायत हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमायाः ” बेशक जुमा का दिन ईद का दिन है , इसलिए तुम अपने ईद के दिन को यौमे सियाम ( रोजा का दिन ) मत बनाओ लेकिन तुम उसके पहले या उसके बाद के दिन को रोज़ा रखो। – सहीह इब्ने खुजैमा ( हदीस संख्या: 1980 ), सहीह इब्ने हिब्बान ( हदीस संख्या : 3680 )
जब इन हदिसों से साबित है कि जुमा का दिन भी ईद का दिन है, तो हमें जुमे के दिन भी ईद की तरह ही तैयारी करनी चाहिए। हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जुमा की तैयारी एक दिन पहले से ही शुरू कर देते थे। इसलिए आप भी एक दिन पहले अपने कपड़े धूल कर सुखा कर प्रेस कर लें। दिन डूबते नी मगरिब से जुमा का दिन शुरू हो जाता है। इसलिए आप भी इसी वक़्त से जुमा के दिन वालों काम स्टार्ट कर दें। जैसे – नाखून काटना, दरूद पढ़ना आदि।
जुमे की नमाज को छोड़ने से हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सख्ती से मना फरमाया है। जुमे की नमाज को लेकर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि “जिसने लापरवाही करते हुए तीन जुमे की नमाज छोड़ दिया हो अल्लाह तआला उस के दिल पर मुहर लगा देगा।” – (अबू दाऊद हदीस संख्या : 1052) (इब्ने माजा हदीस संख्या : 1126)
जुमे के दिन की क्या है ख़ासियत?
जुमे के दिन अल्लाह तआला ने एक ऐसा वक़्त रखा है जिस वक़्त में जो भी दुआ मांगी जाये वो कुबूल हो जाती है।
कुबूलियत का वक़्त कौन सा है ?
इस कुबूलियत की वक़्त को अल्लाह तआला ने छुपा दिया है ताकि लोग ज्यादा से ज़्यादा वक़्त इबादत में खर्च करें लेकिन कुछ रिवायतों में इसका ज़िक्र मिलता है कि ये वक़्त जुमा के दिन अस्र से लेकर मगरिब के बीच होती है | इसलिए ख़ास तौर पर जुमे के दिन अस्र के बाद का वक़्त इबादत, ज़िक्र और दुआ में खर्च करना चाहिए |
जुमा के दिन क्या करें?-
- मिस्वाक़ जरूर करें। मिस्वाक के 70 से ज्यादा फ़ायदे होते हैं, जिनमें मुख्य ये हैं कि अल्लाह तआला खुश होते हैं, नमाज का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है और मुंह साफ करके मिश्वाक (पीलू) कई बीमारियों में फायदा पहुंचाता है।
- जुमा के दिन गुस्ल जरूर करें। जुमा के दिन ग़ुस्ल करना वाजिब या सुन्नते मुअक्कदा है।
- साफ कपड़े पहने। कपड़े में जो सबसे बेहतरीन कपड़े हों वह पहने, जरूर नहीं की नए कपड़े पहने और अगर मुमकिन हो तो सफेद कपड़े ही पहने क्योंकि सफेद कपड़े अल्लाह तआला को पसंद है।
- इत्र लगाएं क्योंकि इत्र लगाना सुन्नत है।
- कोशिश करें जुमा के अजान से पहले ही पैदल मस्जिद जाएं। क्यों कि हर कदम पर सवाब मिलता है और मस्जिद में जितना पहले जाएंगे उतना ज्यादा सवाब मिलेगा।
- खुतबे को ध्यान से सुने और इस दौरान बिल्कुल भी ना बोलें।
- जब नबी का नाम लिया जाए तो सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जरूर कहें।
- सुरह कहफ जरूर पढ़े हैं जुम्मा के दिन जो सुरह कहफ पढ़ता है उसके पिछले हफ्ते के सभी गुनाह माफ हो जाते हैं और इस जुम्मा के से लेकर अगले जुम्मा तक उसके लिए आसमान से जमीन तक नूर रहती है।
- जितना ज्यादा हो सके उतना ज्यादा दरूद पढ़ें। एक दरूद पढ़ने पर दस दरूद का सवाब मिलता है, दस गुनाह माफ हो जाते हैं, अल्लाह के सामने उसका मुकाम बढ़ जाता है और फरिश्ते उसके दरूद को नबी सल्लल्लाहो सल्लम के सामने पहुंचते हैं और नबी सल्लल्लाहो सल्लम उसका जवाब देते हैं।
एक हदीस में है की जो यह दरूद जुम्मा के दिन असर की नमाज के बाद अपने जगह से उठने से पहले 80 बार पढ़ता है उसके 80 साल के गुनाह ए सगीरा माफ हो जाते हैं और 80 साल इबादत करने का सवाब मिलता है।
اللهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدِنِ النَّبِيِّ الأُمِّيِّ وَعَلَى آلِهِ وَسَلِّمْ تَسْلِيْمًا “
Allahummamma Salli Ala Muhammadin Nin Nabiyyil Ummiyyi Wa’ala Aalihi Wasallim Taslima”