सैयद शाह मोहिउद्दीन क़ादरी बयाबानी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो 1894 में कुरनूल, आंध्र प्रदेश में पैदा हुए। मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज, अलीगढ़ में लॉ की शिक्षा प्राप्त करने के दौरान डॉ. ज़ाकिर हुसैन से उनका संपर्क हुआ और उनके द्वारा वह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की तरफ आकर्षित हुए। उन्हें डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं से खुफिया मुलाक़ात के कारण गिरफ्तार किया गया। आगरा जेल में वह मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के क़रीब हुए और कई भाषाओं में उनकी महारत काम आई और आज़ाद की ‘तफसीर-ए-कुरआन’ लिखने में मदद की।
उन्होंने डिप्टी कलेक्टर का पद लेने से भी यह कहते हुए साफ़ शब्दों में इंकार कर दिया कि वह अंग्रेज़ों के गुलाम बन कर उनकी सेवा नहीं कर सकते। भारत छोड़ो आंदोलन में उनके सक्रिय रोल के कारण उन्हें 11 महीने कारावास की सज़ा सुनाई गई।
सैयद शाह बयाबानी ने 1 अक्टूबर 1969 को अपनी अंतिम सांस ली। उस समय वह आंध्र प्रदेश विधान परिषद के सदस्य थे।