दुनियाभर में मुस्लिम वैज्ञानिकों ने जो योगदान दिया है उसे एक बड़ी साजिश के तहत नज़र-अंदाज कर उनकी उपलब्धियों को दफन करने की कोशिश की गई ।
इस साजिश में किसी एक मुल्क को ज़िम्मेदार ठहराना बेमानी होगा। अमेरिका,रूस जर्मनी, ब्रिटेन और फ़्रांस सहित दुनिया के कई बड़े मुल्कों ने मिलकर मुस्लिम वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोजों पर न सिर्फ पर्दा डाल दिया बल्कि उन वैज्ञानिकों की पहचान को उनका नाम बदल कर छुपा दिया। ऐसे ही एक वैज्ञानिक हैं इब्न सीना जिन का पूरा नाम अबू अली इब्न सीना है, जिन्हे पश्चिम देशों में एविसेना (Avicenna) के रूप में जाना जाता है।
इब्न सीना इस्लामिक स्वर्ण युग के सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सकों, खगोलविदों, विचारकों और लेखकों में से एक हैं। इन्हे आधुनिक चिकित्सा पद्धति का जनक माना जाता है। उनके द्वारा लिखे गए 450 पुस्तकों में से, लगभग 240 आज भी मौजूद हैं, जिनमें दर्शन पर 150, गणित पर लिखी 6 और चिकित्सा पर 40 पुस्तकें शामिल हैं।
इब्न सीना का प्रारंभिक जीवन –
इब्न सीना का जन्म सन् 980 में बुखारा के एक गांव अफशाना (Afshana) में हुआ था। उनके पिता अब्दुल्ला, बल्ख (वर्तमान अफगानिस्तान ) के एक सम्मानित विद्वान थे। एविसेना ने सबसे पहले कुरान और हदीस को सीखना शुरू किया और जब वह दस साल के थे तो हाफिज-ए-कुरान हो चुके थे और 16 साल की उम्र तक उन्होंने गणित और दर्शन का अध्ययन किया।
उन्होंने 16 साल की उम्र में चिकित्सा की ओर रुख किया, और न केवल चिकित्सा सिद्धांत सीखा, बल्कि बीमारों का उपचार भी करने लगे और उपचार के नए नए तरीकों की भी खोज करने लगे।
18 वर्ष की किशोरावस्था में ही वे एक योग्य चिकित्सक के रूप में प्रसिद्ध हो चुके थे। उन्होंने पाया कि चिकित्सा कोई कठिन और कांटेदार विज्ञान नहीं है जैसे गणित और दर्शन, इसलिए उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में जल्द ही महान प्रगति करली और एक उत्कृष्ट चिकित्सक बन गये। उन्होंने जल्द एक अस्पताल की स्थापना भी कर लिया जहां रोगियों का इलाज करने और उनके रहने की अच्छी व्यवस्था थी, और गरीब रोगियों का मुफ्त इलाज किया जाता। जल्द ही इस युवा चिकित्सक की प्रसिद्धि तेजी से फैल गई।
एक बार बुखारा के सुलतान नूह इब्न मंसूर बीमार हो गये, किसी हकीम की कोई दवाई कारगर शाबित न हुई तो मात्र 18 साल की उम्र में इब्न सीना ने उस बीमारी का इलाज़ किया। इब्न सीना की दवाई से सुल्तान इब्न मंसूर जल्द स्वस्थ हो गये ,सुल्तान ने खुश हो कर इब्न सीना को पुरस्कार स्वरूप एक पुस्तकालय खुलवा कर दिया और अपने राज्य में संरक्षण भी दिया।
इब्न सीना की प्रमुख उपलब्धि –
सिर्फ18 वर्ष की किशोरावस्था में ही वे एक योग्य चिकित्सक के रूप में प्रसिद्ध हो चुके थे। वे न केवल मरीजों का उपचार (इलाज) करते बल्कि उपचार के नए नए तरीकों की भी खोज करने लगे।
उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना द बुक ऑफ हीलिंग एक दार्शनिक और वैज्ञानिक विश्वकोश है और ‘अल कानून फी अल तिब्ब'(القانون في الطب) एक मेडिकल विश्वकोश हैै।
‘अल कानून फी अल तिब्ब'(القانون في الطب) किताब के 5 भाग हैं। इस किताब में ब्रह्मांडीय तत्व जो ब्रह्मांड और मानव शरीर को बनाते हैं, तत्वों की परस्पर क्रिया (स्वभाव), शरीर के तरल पदार्थ (ह्यूमरस), मानव शरीर रचना , और शरीर विज्ञान, स्वास्थ्य और बीमारी के कारण, 800 चिकित्सा पदार्थों को सूचीबद्ध किया है जो उस समय उपयोग किए गए थे इन पदार्थ का नाम उसकी प्रकृति और प्राथमिक गुण, शरीर के ऊपर से शरीर के नीचे तक प्रत्येक अंग के कार्य और रोग, लक्षण, निदान शामिल है। यह किताब कई मध्यकालीन विश्वविद्यालयों में एक मानक चिकित्सा पाठपुस्तक बन गया और 19वीं सताब्दी के अंत तक उपयोग होता रहा।
दर्शन और चिकित्सा के अलावा, इब्न सीना ने खगोल विज्ञान, कीमिया, भूगोल और भूविज्ञान, मनोविज्ञान, इस्लामी धर्मशास्त्र, तर्क, गणित, भौतिकी और कविता पर लेखन शामिल हैं।