अगर आप ये सोचते हैं की नया साल मानने में क्या हर्ज है, इससे इस्लाम का कोई नियम नहीं टूटता, या इस्लाम में इसकी कोई मनाही नहीं है, तो आप बिल्कुल गलत हैं।
31 दिसंबर ये वो रात है जिस में वो हर काम किये जाते है जिसे इस्लाम ने ❌️हराम❌️ करार दिया गया है। जैसे पटाखे जला के फुजूल खर्ची करना, शराब पीना और पिलाना, पब में जाना जहां लड़के-लड़कियां नाच गाना करेंगे और जिना करेंगे।
अब आप कहेंगे की नही हम तो सिर्फ मुबारकबाद देते हैं और थोड़े पटाखे फोड़ देते हैं। तो मैं आप को बता दू की आप बुराई की तरफ जाने वाले रास्ते पर पहले या दूसरे स्टेप पर हैं।
पहले स्टेप में आप सिर्फ happy new year बोलेंगे, दूसरे स्टेप में आप या आप की आने वाली पीढ़ी डांस करेंगे पटाखे फोड़ेंगे और तीसरे स्टेप में आप की आने वाली पीढ़ी कहेगी कि हमारे बाप दादा ने हैप्पी न्यू ईयर के मजे ठीक से नहीं लिए और वो पब में जायेंगे हैप्पी न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए जहां वो शराब भी पियेंगे और जिना की तरफ भी जायेंगे और धीरे धीरे उनका ईमान भी खत्म हो जाएगा।
अभी आप भले ही मुबारकबाद देते हैं और थोड़े पटाखे फोड़ लेते हैं लेकिन अगर आप नही तो आप के बच्चें अगले स्टेप पे जायेंगे। नया साल मानना इतना खतरनाक है की ईमान जाने का खतरा पैदा हो जाता है। इसलिए आप इस बुराई से खुद बचें और अपने बच्चों को भी बचाएं, उन्हे नेक बनाएं वो आप के सदका ए जरिया बनेंगे।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जिस ने किसी क़ौम की मुशाबिहत (नक़ल) इख़्तेयार की तो वो उन्हीं में से है।
(Sunan Abu Dawood Hadith No. 4031)
अगर कोई आप को हैप्पी न्यू ईयर की मुबारकबाद दे तो आप क्या करें?
कोई आप को हैप्पी न्यू ईयर की मुबारकबाद दे तो आप ‘सेम टू यू’ या आप को भी कह दें। आप इसकी पहल बिल्कुल भी न करें।
(रहमान के नेक बंदे तो वही हैं) जो किसी झूठ और बातिल कामों में शरीक नहीं होते और जब बेहूदा कामों के पास से गुज़र होता है तो (अपना दामन बचाते हुए) बहुत शराफ़त के साथ गुज़र जाते हैं।
सूरह फुरक़ान / 25 , आयत / 72)