क्रिसमस आने वाला है, बहुत से मुसलमानो को भी क्रिसमस की बधाई देते, उपहार देते हुए और इसमें सम्मिलित होते हुए देखा जा सकता है। उन्हे यह पता ही नही होता कि वो कितना बड़ा कुफ्र (अविश्वास) कर रहे हैं। उन्हे शायद पहले ये जान लेना चाहिए कि क्रिसमस क्यूं मनाया जाता है?
क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
ईसाइयों का यह विश्वास है कि यीशु (ईसा अलैहि सलाम) ईश्वर के पुत्र हैं और 25 दिसंबर को अल्लाह के पुत्र यीशु का जन्म हुआ जिसकी खुशी में क्रिसमस मनाया जाता है।
एक मुसलमान को क्रिसमस क्यों नही मानना चाहिए?
हर मोमिन का यह ईमान (विश्वास) होता है कि क़ुरआन अल्लाह का कलाम (बातचीत) है, और क़ुरआन की हर बात सच्ची और सही है। क़ुरआन की एक सूरह अल-इखलास है जिसमें अल्लाह तआला ने साफ साफ बता दिया है कि
﴿بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ﴾
﴿1﴾ قُلْ هُوَ اللَّـهُ أَحَدٌ ﴿2﴾ اللَّـهُ الصَّمَدُ﴿3﴾لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ﴿4﴾وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ
﴾1﴿ (हे ईश दूत!) कह दोः अल्लाह अकेला है। ﴾2﴿ अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है। ﴾3﴿ न उसकी कोई संतान है और न वह किसी की संतान है। ﴾4﴿ और न उसके बराबर कोई है।
(क़ुरआन सूरह अल-इखलास: 112)
सूरह इखलास के आयात नंबर 3 में अल्लाह ने बता दिया है की “न उसकी कोई संतान है और न वह किसी की संतान है” तो फिर एक मुसलमान अल्लाह का बेटा होने की बधाई कैसे दे सकता है, यह तो अल्लाह की बात से साफ इंकार करना है, कुरान का इंकार करना है, यह कुफ्र (इस्लाम की मान्यताओं एवं आज्ञाओं के विरुद्ध कोई बात) है, यह कुफ्र, शिर्क और इस्लाम से खारिज होने का कारण बन सकता है। इसलिए इस त्यौहार में शामिल होने से बचें।
नबी करीम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया:
من تَشبَّه بقوم، فهو منهم
“जिसने किसी कौम के तरीके को इख़्तियार किया वह उन्हीं में से हो गया।”
[अबी दाऊद 4031]
याद रहे हम अगर यहूदी या ईसाई या काफिरों के तरीके या उनके जैसे लिबास या उनके किसी भी मज़हबी त्योहार में शिरकत करेंगे तो इस हदीस के मुताबिक उन्हीं लोगों में से हो जाएंगे।