प्रसिद्ध ब्रिटिश भारतीय मुस्लिम विचारक, दार्शनिक और उर्दू कवि अल्लामा मुहम्मद इकबाल का जन्म 9 नवंबर 1877 को सियालकोट, पंजाब, ब्रिटिश भारत ( वर्तमान पाकिस्तान में ) में हुआ था। इकबाल को अब तक के सबसे महान उर्दू कवियों में से एक के रूप में परिभाषित किया गया है।
अल्लामा इकबाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर में प्राप्त किया। उन्होंने 1905 में यूरोप की यात्रा की, जहां उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में डिग्री, लंदन में बैरिस्टर के रूप में योग्य प्राप्त किया और सन् 1907-08 में म्यूनिख विश्वविद्यालय से पीएचडी प्राप्त किया।
1933 में, इकबाल ने स्पेन में कोर्डोबा की ग्रेट मस्जिद का दौरा किया। कोर्डोबा की ग्रेट मस्जिद को 1236 ईस्वी में एक कैथोलिक चर्च में बदल दिया गया था। हालांकि, इकबाल भाग्यशाली थे कि उन्हें मस्जिद में अपनी प्रार्थना की पेशकश करने की अनुमति दी गई थी जैसा कि आप फोटो में देख सकते हैं।
अल्लामा इकबाल कोर्डोबा की ग्रेट मस्जिद में |
ग्रेट मस्जिद की अपनी यात्रा का अनुभव करने के बाद, इकबाल ने मस्जिद-ए-कुर्तुबा नामक एक कविता लिखी, जिसे बाद में सन् 1936 में उनके संग्रह बाल-ए-जिब्रील (The Wing of Gabriel) में प्रकाशित किया गया था। उस कविता से एक पंक्ति इस प्रकार है:
اے حرم قرطبہ عشق سے تیرا وجود
عشق سراپا دوام جس میں نہیں رفت و بود
Ae Haram-E-Qurtuba! Ishq Se Tera Wujood
Ishq Sarapa Dawam, Jis Mein Nahin Raft-o-Bood
अपने पूरे करियर के दौरान, इकबाल ने दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के राजनीतिक और आध्यात्मिक पुनरुत्थान पर व्याख्यान दिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में। मद्रास (अब चेन्नई), हैदराबाद, और अलीगढ़ में सन् 1928-1929 में दिए गए व्याख्यानो को सन् 1934 में “इस्लाम में धार्मिक विचार के पुनर्निर्माण” नमक पुस्तक में प्रकाशित किया गया था।
इकबाल को इस्लामी अध्ययनों में बहुत रुचि थी, विशेष रूप से तसव्वुफ़ में (सूफ़िज़्म)। इकबाल प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान और सूफी कवि मौलाना जलालुद्दीन रूमी से बहुत प्रभावित थे।
आज 9 नवंबर को अल्लामा इकबाल के जन्म दिन पर इकबाल दिवस, उनके के उर्दू , फारसी कविता, दर्शन और इस्लामी विचार में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है (विशेष रूप से पाकिस्तान और भारत में)। 21 अप्रैल 1938 को लाहौर (अब वर्तमान पाकिस्तान ) में उनका निधन हो गया था।