आज का युग डिजिटल युग हो चुका है और यहां हम चारों तरफ से डिजिटल उपकरणों से घिरे हुए हैं जिसमें सबसे ज्यादा मोबाइल, लैपटॉप, टीवी इत्यादि है।
इन डिजिटल उपकरणों ने समाचार, ज्ञान और मनोरंजन तक हमारे पहुंच को बहुत आसान कर दिया है लेकिन इस प्रक्रिया में हमें मोबाइल लैपटॉप टीवी इत्यादि के स्क्रीन पर काफी देर तक देखना होता है और इस दौरान हमारी आंखों का सामना इन उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी से होता है।
क्या है यह नीली रोशनी (Blue light)?
इन नीली रोशनी का तरंग धैर्य 380 से 450 नैनोमीटर तक होता है। 380 नैनोमीटर से नीचे के तरंग धैर्य वाली किरणों को पराबैंगनी किरणें कहते हैं, जो की बहुत ही खतरनाक होती है। नीली रोशनी का तरंग धैर्य पराबैगनी किरणों से थोड़ा सा ही ज्यादा होने के कारण यह कम खतरनाक होती हैं लेकिन बहुत अधिक समय तक इन किरणों का हमारे आंखों की संवेदनशील दृश्य कोशिकाओं पर पढ़ते रहने से इन कोशिकाओं के नष्ट होने यह विकृत होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ टोलेडो ने अपने रिसर्च में यह पाया की मोबाइल और पीसी से निकलने वाली ब्लू लाइट बहुत खतरनाक होती है। इस रिसर्च में यह साफ तौर पर सामने आया कि ब्लू लाइट ब्लाइंडनेस की ओर ले जाती है। खासकर जब इसका इस्तेमाल से रोजाना ही 3 या 4 घंटे से ज्यादा किया जाए तो आप आपके आंख की रोशनी जाने का खतरा बहुत तेजी से बढ़ जाता है।
कैसे बचाएं ब्लू लाइट से अपनी आंखें?
- अपने मोबाइल में सेटिंग में जाकर ब्लू लाइट फिल्टर या रीडिंग मोड को ऑन कर दें इससे ब्लू लाइट में कमी आ जाती है।
- मोबाइल की ब्राइटनेस को कम रखें।
- लगातार मोबाइल को देखने से बचें।
- पलकों को झपकाते रहे ताकि आंखों में सूखापन ना आए।
- आंखों को थोड़ी थोड़ी देर पर बंद करके आराम देते रहें।
- कंप्यूटर या मोबाइल पर काम करते हुए आंखों के सुरक्षा के लिए चश्मे का यूज़ करें, ताकि इनके सीधे लाइट इफेक्ट से बचा जा सके।
- अंधेरे में मोबाइल को ना चलाएं, रोशनी में ही चलाएं।
- अपने मोबाइल और आंखों के बीच थोड़ी दूरी बनाए रखें।
- आंखों से पानी गिरे या चुभन हो तो तुरंत ही अपने डॉक्टर से मिले क्योंकि हो सकता है यह खतरे की घंटी हो।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल कमेंट में जरूर बताएं और इसे शेयर कर अपने परिवार और मित्रों को जागरूक करें।