आज मुसलमानों का इतिहास इस तरह से गायब कर दिया गया है कि आज के मुसलमानों को भी नहीं पता कि दुनिया का पहला उड़ानभरने वाला इंसान एक मुसलमान वैज्ञानिक “अब्बास इब्न फिरनास” थे।
स्कूलों मे हमे यह पढ़ाया जाता है की हवाई जहाज़ का अविष्कार राइट ब्रदर्स ने ‘लियनएर्डो दा विन्सी‘ की मॉडल से प्रेरणा ले कर किया था लेकिन यह नही बताया जाता की ‘लियनएर्डो’ के 600 साल पहले एक मुसलिम वैज्ञानिक ने ना सिर्फ़ हवाई जहाज़ का मॉडल बनाया बल्कि उसे खुद सफलतापूर्वक टेस्ट भी किया।
अब्बास इब्न फिरनास कौन थे?
मुस्लिम वैज्ञानिक ‘अब्बास इब्न फिरनास’ का जन्म 810 ई (इस्लामिक स्वर्ण युग) में रोन्डा स्पेन में हुआ था, जो एक इंजिनियर, अविष्कारक, रसायनज्ञ, चिकित्सक और कवि थे।
इतिहासकार फिलिप हिती की किताब ‘अरब का इतिहास‘ के अनुसार, आसमान में उड़ान भरने का इतिहास में पहला वैज्ञानिक प्रयास अब्बास इब्न फिरनास ने ही किया था।
कैसे आया फ्लाइंग मशीन बनाने का विचार?
एक बार अब्बास इब्न फिरनास ने एक सपना देखा जिसमे वो पंछियों की तरह उड़ रहे हैं। जब उनकी नींद खुली तो उन्होंने अपने इस सपने को हकीकत में बदलने की सोचा, इसके लिए उन्होंने पक्षियो के उड़ने का अध्यन किया और उसके आधार पर एक लकड़ी से ग्लाइडर (फ्लाइंग मशीन) जैसा यंत्र बनाया। इस यंत्र को लेकर वो एक मस्जिद के मीनार पर पहुंच गए, इतनी ऊंचाई से नीचे गिरने का डर होने के बावजूद उड़ने की चाहत में इस 65 साल के बूढ़े फिरनास ने मीनार से छलांग लगा दिया, उनका यह ग्लाइडर काम कर गया वो सफलता पूर्वक जमीन पर पहुंच गए।
अपने इस कामयाबी से उत्साहित अब्बास इब्ने फिरनास ने अधिक ऊंचाई से छलांग लगाने और अधिक दूर तक उड़ान भरने की तैयारियां शुरू कर दीं। अपने पुराने मॉडल में कुछ सुधार करने के बाद ऊंची चोटी पर पहुंच गए। इस बार उनके इस कारनामे को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहाड़ी के नीचे इकट्ठा थे।
अपने पिछली कामयाबी से उत्साहित फिरनास ने इस बार बिना डरे दौड़ते हुए पहाड़ी से अपनी बनाई हुई फ्लाइंग मशीन के साथ छलांग लगा दिया। उनकी यह छलांग विमान विज्ञान (AERONAUTICS) में इन्सानों की पहली छलांग थी। नीचे देख रहे लोगों में खुशी कि लहर दौड़ गई, अब फिरनास हवा में उड़ रहे थे उनकी स्पीड पंछियों से भी तेज थी।
करीब 10 मिनट के उड़ान के बाद उनके ग्लाइडर की स्पीड बहुत ज्यादा हो चुकी थी, इसलिए उनकी फ्लाइंग मशीन आस्थिर होना शुरू हो चुका था। अब उनके फ्लाइंग मशीन की एक बड़ी कमी सामने आ चुकी थी और वह थी फ्लाइंग मशीन की पूंछ ना बनाना (पूंछ ही फ्लाइंग मशीन को स्थिर रखता और लैंडिंग कोण को कम करता) जिसके वजह से आखरी समय में लैंड करने से पहले उनके ग्लाइडर का संतुलन बिगड़ गया जिसके कारण उन्हें बहुत चोट आई, उनकी कई हड्डियां टूट गई और कई फ्रैक्चर आए। 65 साल के बूढ़े फिरनास लिए यह चोट असहनीय दर्द दे रहा था, लेकिन उनके चेहरे पर कामयाबी की एक मुस्कान भी थी क्योंकि वह अब दुनिया के पहले इंसान बन चुके थे जिन्होंने हवा में उड़ान भरी थी।
अपने इस कामयाबी के बाद फिरनास ने शेष जीवन बहुत दर्द और तकलीफ में गुजारा क्योंकि उस समय चिकित्सा विज्ञान इतना उन्नत नहीं था कि फिरनास के हड्डियों को ठीक से जोड़ सकें इसलिए फिरनास दोबारा कभी अपने ग्लाइडर के मॉडल को उड़ा नहीं सके, लेकिन अब फिरनास के उड़ने की बात अरब और यूरोप में फ़ैल चुकी थी, लोग उनके टूटे ग्लाइडर को देखने दूर दूर से आते और इसे देख कर प्रेरित होते थे।
आज हवाई जहाज़ का आविष्कारक भले राइट ब्रदर्स को कहा जाता है, लेकिन आसमान में उड़ान भरने का इतिहास में पहला वैज्ञानिक प्रयास करने के कारण अब्बास इब्न फिरनास के सम्मान में चाँद पर एक बड़े गड्ढे का नाम इब्न फिरनास क्रेटर रखा गया है, जिसे देख कर दुनिया का हर इन्सान अब्बास इब्न फिरनास के सराहनीय काम को याद कर सके।
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